

नागपुर पूर्व विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार जीतने वाले बीजेपी के वरिष्ठ नेता कृष्णा खोपड़े (Krishna Khopde) के लिए इस बार का चुनाव एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। महाविकास आघाड़ी ने इस क्षेत्र से राष्ट्रवादी कांग्रेस के दुनेश्वर पेठे को उम्मीदवार बनाया है, वहीं कांग्रेस के बागी पुरुषोत्तम हजारे भी मैदान में हैं। अजित पवार गुट की आभा पांडे ने खोपड़े के खिलाफ खुला मोर्चा खोल दिया है और चुनावी प्रचार को तेज कर दिया है। इस वजह से मुख्य पार्टियों की लड़ाई में बागी उम्मीदवारों ने भी बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। पिछले चुनाव में कांग्रेस के पुरुषोत्तम हजारे ने खोपड़े को बेहद कम अंतर से हराने की स्थिति में ला दिया था। इस बार स्थिति और भी जटिल हो गई है।
कृष्णा खोपड़े के सामने बगावत की चुनौती
इसके अलावा, खोपड़े की पुरानी प्रतिद्वंद्वी आभा पांडे निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं और उनका फोकस हिंदी भाषी मतदाताओं पर है। इन सभी उम्मीदवारों के कारण बीजेपी के वोटों के बंटवारे की संभावना जताई जा रही है। नागपुर पूर्व विधानसभा क्षेत्र में तेली समाज का दबदबा है, जो खोपड़े और हजारे दोनों का पारंपरिक मतदाता माना जाता है। लेकिन बगावत की वजह से वोटों के विभाजन की आशंका व्यक्त की जा रही है। दूसरी ओर, राष्ट्रवादी कांग्रेस ने जातिगत समीकरणों पर जोर दिया है, लेकिन महाविकास आघाड़ी के फैसले से स्थानीय कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता नाराज दिख रहे हैं। पिछले चुनाव में खोपड़े ने आसानी से जीत का दावा किया था, लेकिन हजारे ने उनके इस आत्मविश्वास को हिला दिया था।
इस बार उनके सामने सिर्फ विरोधी पार्टियों की चुनौती नहीं है, बल्कि पार्टी के अंदरूनी बागियों की भी बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। इस बगावत के कारण यह सवाल उठ रहा है कि खोपड़े का विजय रथ मुंबई विधानसभा तक पहुंच पाएगा या नहीं। नागपुर पूर्व में कुल 17 उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी के कृष्णा खोपड़े, राष्ट्रवादी कांग्रेस के दुनेश्वर पेठे और बागी पुरुषोत्तम हजारे के बीच दिखाई दे रहा है। इन राजनीतिक परिस्थितियों के चलते खोपड़े की लगातार चौथी जीत पर सवाल उठने लगे हैं।