

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले शरद पवार को बड़ा झटका लगा है. अजित पवार को घड़ी चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल करने से रोकने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल ठुकरा दिया है. एनसीपी (शरद पवार) ने दो अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनाव चिन्ह घड़ी के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार से शपथ मांगा और उसमें घड़ी चिन्ह के साथ कोर्ट में विचाराधीन डिस्क्लेमर लगाने के आदेश का पालन करने की बात लिखने के लिए कहा.
चुनाव आयोग ने अजित पवार की एनसीपी को असली ठहरा कर पार्टी का चिन्ह (घड़ी) इस्तेमाल करने का अधिकार दिया था. कोर्ट में बहस के दौरान शरद पवार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “मार्च में हुई सुनवाई में कोर्ट ने चुनाव आयोग को हमारे लिए भी एक चिन्ह तुरही आवंटित करने का आदेश दिया. अजित पवार से कहा गया था कि घड़ी चिन्ह के साथ यह लिखें कि मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है. इन्होंने इसका सही तरीके से पालन नहीं किया. लोग घड़ी चिन्ह को शरद पवार से पहचानते हैं.”
इस पर अजित पवार के वकील बलबीर सिंह ने कहा, “इन्होंने (शरद पवार गुट) लोकसभा चुनाव के समय भी यही बातें कही थीं. कोर्ट ने घड़ी चिन्ह हमारे पास ही रहने दिया. अब इसे नहीं सुनना चाहिए.”
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले शरद पवार को बड़ा झटका लगा है. अजित पवार को घड़ी चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल करने से रोकने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल ठुकरा दिया है. एनसीपी (शरद पवार) ने दो अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनाव चिन्ह घड़ी के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार से शपथ मांगा और उसमें घड़ी चिन्ह के साथ कोर्ट में विचाराधीन डिस्क्लेमर लगाने के आदेश का पालन करने की बात लिखने के लिए कहा.
चुनाव आयोग ने अजित पवार की एनसीपी को असली ठहरा कर पार्टी का चिन्ह (घड़ी) इस्तेमाल करने का अधिकार दिया था. कोर्ट में बहस के दौरान शरद पवार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “मार्च में हुई सुनवाई में कोर्ट ने चुनाव आयोग को हमारे लिए भी एक चिन्ह तुरही आवंटित करने का आदेश दिया. अजित पवार से कहा गया था कि घड़ी चिन्ह के साथ यह लिखें कि मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है. इन्होंने इसका सही तरीके से पालन नहीं किया. लोग घड़ी चिन्ह को शरद पवार से पहचानते हैं.”
इस पर अजित पवार के वकील बलबीर सिंह ने कहा, “इन्होंने (शरद पवार गुट) लोकसभा चुनाव के समय भी यही बातें कही थीं. कोर्ट ने घड़ी चिन्ह हमारे पास ही रहने दिया. अब इसे नहीं सुनना चाहिए.