

दिल्ली (DELHI) : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 के बाद भारतीय उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ हुई बातचीत में साफ किया कि सरकार की संपत्ति निर्माण की कोशिशें जारी हैं. इसीलिए इस वित्तीय वर्ष में पूंजीगत व्यय का लक्ष्य पिछले साल की तुलना में 10.2 फीसदी अधिक रखा गया है.
वित्त मंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब उद्योग जगत में यह चिंता जताई जा रही थी कि सरकार के घाटे पर कड़ी नजर रखने के लक्ष्य के कारण पूंजीगत व्यय प्रभावित हो सकता है. हालांकि, सीतारमण ने स्पष्ट किया कि अगले वर्ष में सरकार का फोकस उपभोग को बढ़ावा देने पर होगा, जो बजट 2025 में घोषित टैक्स राहत उपायों से साफ है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पूंजीगत व्यय पर ध्यान कम होगा.
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार आगे चलकर कर्ज-से-जीडीपी अनुपात को कम करने पर ध्यान केंद्रित करेगी. इसके लिए दो मुख्य उपाय किए जाएंगे. पहला उधारी में कटौती और दूसरा जुलाई से चल रहे राजकोषीय मार्ग का पालन करना. सीतारमण ने कहा, “हर संभव उपाय किया जाएगा ताकि कर्ज को कम किया जा सके, लेकिन इसका सरकारी कार्यक्रमों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.”
वित्त मंत्री ने बिजली क्षेत्र में सुधारों पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि आने वाले कुछ कार्यक्रम न केवल बिजली की खपत बढ़ाएंगे, बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा करेंगे.
सीतारमण ने बीमा क्षेत्र में सुधारों की भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि सरकार इस क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की सीमा बढ़ाने के उपायों पर विचार कर रही है. उन्होंने कहा, “भारत को बीमा क्षेत्र में और खिलाड़ियों की जरूरत है, क्योंकि इस क्षेत्र को व्यापक और गहरा बनाने की जरूरत है.” साथ ही, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस क्षेत्र में नए खिलाड़ियों को लाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए नए सुरक्षा उपाय भी लागू किए जा रहे हैं.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा, “एमएसएमई को एक टर्म लोन दिया जाएगा, जो पहले कभी नहीं दिया गया है. पहले, उन्हें जो वर्किंग कैपिटल असिस्टेंस मिलती थी, वह मिलती रहेगी. हालांकि, प्लांट और मशीनरी खरीदने के लिए एमएसएमई को टर्म लोन कभी नहीं दिया गया. लेकिन जुलाई के बजट में, हमने इस पहल की घोषणा की, जिससे एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है.”
वित्त मंत्री ने आगे कहा, “एमएसएमई का व्यापार चक्र बड़े उद्यमों से काफी अलग है. जबकि, पब्लिक सेक्टर के बैंक इसे समझते हैं और इसी के अनुसार लोन देते हैं, सिडबी जैसी संस्था, जो मुख्य रूप से पुनर्वित्त संस्थान के रूप में काम करती है, को सीधे तौर पर इसमें शामिल होने से छोटे और मध्यम उद्योगों की लोन जरूरतों को मदद मिलेगी.’