
मराठा आंदोलक मनोज जरांगे पाटील (Manoj Jarange Patil) ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 से अपना नाम वापस ले लिया है। अब वे किसी भी सीट पर उम्मीदवार नहीं उतारेंगे। उन्होंने कहा कि उनके साथ आए दल और सहयोगी अभी तक अपनी उम्मीदवारों की सूची नहीं दे सके, इसलिए यह निर्णय लिया गया है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि मराठा समाज जिसे हराना चाहे, उसे हराए।
मनोज जरांगे पाटील के चुनाव से पीछे हटने के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट) के नेता और मंत्री छगन भुजबळ ने अपनी पहली प्रतिक्रिया दी। छगन भुजबळ ने कहा, “मैं मनोज जरांगे के इस फैसले का स्वागत करता हूं। देर आए, दुरुस्त आए। एक समाज के आधार पर चुनाव नहीं लड़ा जा सकता। मराठा समाज के लोग अब खुलकर रह पाएंगे और किसी तरह का दबाव नहीं होगा। मराठा समाज के 60 से 70 प्रतिशत उम्मीदवार हैं। जरांगे का यह निर्णय बेहद सही है।”
सभी धर्मों का समर्थन चाहिए, यही संदेश है
मनोज जरांगे पाटील ने कहा कि उन्होंने दलित और मुस्लिम उम्मीदवारों की सूची न मिलने के कारण यह फैसला किया। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए छगन भुजबळ ने कहा, “उन्होंने जो कहा है, उसके बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता। यह दिखाता है कि सभी धर्मों और समाजों का समर्थन चाहिए। हर राजनीतिक दल की कोशिश यही होती है कि वे सभी धर्मों और समाजों के बीच काम करें और वहां से जीत हासिल करें।”
आरक्षण आंदोलन एक सामाजिक मुद्दा
मनोज जरांगे ने कहा कि चुनाव के बाद क्या होगा, यह कहना मुश्किल है। उन्होंने यह भी कहा कि एकनाथ शिंदे और शरद पवार के बीच कुछ चल रहा है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए छगन भुजबळ ने कहा कि जैसे जरांगे नहीं कह सकते, वैसे ही वे भी कुछ नहीं कह सकते। भले ही जरांगे ने चुनाव से पीछे हटने का निर्णय लिया हो, लेकिन आंदोलन जारी रहेगा।
इस पर छगन भुजबळ ने कहा, “आरक्षण आंदोलन एक सामाजिक मुद्दा है। मैं वर्षों से समता परिषद का काम कर रहा हूं, लेकिन हम समता परिषद के माध्यम से चुनाव नहीं लड़ते। चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार को वहां के मतदाताओं का विश्वास जीतना होता है। यह सिर्फ यह कहकर नहीं हो सकता कि मैं किसी सामाजिक संस्था से हूं, इसलिए मुझे वोट दें। इसलिए जरांगे का काम जारी रहेगा।”













