

महाराष्ट्र (Maharashtra) : उद्धव ठाकरे को छोड़कर लगभग पूरी शिवसेना बीजेपी के साथ है, फिर भी महाराष्ट्र की राजनीति में पांव जमाने के लिए उसे कदम कदम पर संघर्ष करना पड़ रहा है. लेकिन उद्धव ठाकरे का हाल तो और भी बुरा हो गया है – आइडियोलॉजी से समझौता करने पर हालात ऐसे ही हो जाते हैं.
ये ठाकरे परिवार की ताकत नहीं तो क्या है, बीजेपी को महाराष्ट्र की राजनीति में अपने बूते खड़े होने के लिए अब भी जूझना पड़ रहा है. मुश्किल ये है कि बालासाहेब ठाकरे ने जो कुछ कमाया था, उद्धव ठाकरे ने एक झटके में गंवा दिया. महाराष्ट्र की राजनीति में अब मातोश्री का वो महत्व नहीं है, जो भाजपा से गठबंधन के दौर में हुआ करता था.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की जिस कुर्सी के लिए उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने बीजेपी के खिलाफ जंग छेड़ी, उस पर भी आधे कार्यकाल तक ही टिक पाये, और जब सरकार गई तो संगठन से भी हाथ धोना पड़ा. उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र के लोगों को शुक्रिया कहना चाहिये कि लोकसभा चुनाव 2024 में थोड़ी बहुत इज्जत रख ली – लेकिन कांग्रेस को ज्यादा सीटें देकर उद्धव ठाकरे को कहीं का छोड़ा भी नहीं.
और अब तो उद्धव ठाकरे की हालत और भी बुरी होती लग रही है. मुख्यमंत्री पद देने की बात तो दूर, शरद पवार और राहुल गांधी ने महाविकास आघाड़ी में उद्धव ठाकरे के लिए उनके मनमाफिक सीटें भी नहीं छोड़ी हैं – अब तक ये तो साफ हो ही गया है कि बीजेपी के साथ ही उद्धव ठाकरे के भी अच्छे दिन हुआ करते थे.