

भारत अब तक अपने भारी उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए एरियनस्पेस (Arianespace) पर निर्भर था, लेकिन वर्तमान में उसके पास कोई भी चालू रॉकेट नहीं है और भारत के पास एकमात्र विश्वसनीय विकल्प स्पेसएक्स ही बचा था.एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स भारत की अंतरिक्ष एजेंसी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की ओर से किए गए मल्टी-मिलियन डॉलर के सौदे की पहली बड़ी लाभार्थी है. अगले सप्ताह की शुरुआत में, स्पेसएक्स का फाल्कन 9 रॉकेट भारत के सबसे आधुनिक कम्यूनिकेशन सैटेलाइट जीसैट-20, जिसे जीसैट एन-2 भी कहा जाता है, को ऑर्बिट में ले जाएगा.
क्या एलन मस्क के लिए होगा ‘ट्रम्प’ कार्ड?
यह इसरो और स्पेसएक्स के बीच कई कमर्शियल कॉन्ट्रैक्टों में से पहला है, जबकि कुछ लोग कहते हैं कि इसरो और स्पेसएक्स कम लागत वाले लॉन्च के लिए एक-दूसरे की प्रतिस्पर्धी हैं, ग्लोबल कमर्शियल सैटेलाइट मार्केट में स्पेसएक्स बहुत आगे है. बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बहुत अच्छा रिश्ता है और दोनों एक-दूसरे को अपना खास दोस्त कहते हैं. उद्यमी एलन मस्क भी दोनों के दोस्त हैं, एलन मस्क कहते हैं कि वह पीएम मोदी के प्रशंसक हैं. इन सबके बीच अंतरिक्ष प्रक्षेपण की ऑप्टिक्स और टाइमिंग बिल्कुल सही है, लेकिन संयोग से ये सौदे अमेरिकी चुनाव परिणामों से पहले के हैं, और इसलिए वाशिंगटन डीसी या नई दिल्ली के आलोचक क्रोनी कैपिटलिज्म का मुद्दा नहीं उठा सकते. प्रधानमंत्री मोदी के प्रशंसक एलन मस्क ने 21 जून, 2023 को प्रधानमंत्री के साथ बैठक के दौरान कहा था, “मैं भारत के भविष्य को लेकर बेहद उत्साहित हूं.
भारत में दुनिया के किसी भी बड़े देश से ज़्यादा संभावनाएं हैं. वह (पीएम मोदी) वास्तव में भारत की परवाह करते हैं क्योंकि वह हमें भारत में महत्वपूर्ण निवेश करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. मैं मोदी का प्रशंसक हूं। यह एक शानदार बैठक थी और मैं उन्हें काफी पसंद करता हूं.”GSAT-N2 को अमेरिका के केप कैनावेरल से लॉन्च किया जाएगा. इसरो की ओर से निर्मित, यह 4,700 किलोग्राम का सैटेलाइट भारतीय रॉकेटों के लिए बहुत भारी था, इसलिए इसे विदेशी वाणिज्यिक प्रक्षेपण के लिए भेजा गया.
आगे भी हो सकती है बड़ी डील
भारत का अपना रॉकेट ‘द बाहुबली’ या लॉन्च व्हीकल मार्क-3 अधिकतम 4,000-4,100 किलोग्राम वजन को भूस्थिर स्थानांतरण कक्षा में ले जा सकता था. भारत अब तक अपने भारी उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए एरियनस्पेस पर निर्भर था, लेकिन वर्तमान में उसके पास कोई भी चालू रॉकेट नहीं है और भारत के पास एकमात्र विश्वसनीय विकल्प स्पेसएक्स के साथ जाने का ही बचा था. चीनी रॉकेट भारत के लिए अनुपयुक्त हैं, और यूक्रेन में संघर्ष के कारण रूस कमर्शियल लॉन्च के लिए अपने रॉकेट उपलब्ध नहीं करा पा रहा है.इसरो की बेंगलुरु स्थित वाणिज्यिक शाखा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक राधाकृष्णन दुरैराज ने एनडीटीवी को बताया, “स्पेसएक्स के साथ इस पहले लॉन्च पर हमें अच्छी डील मिली. इस विशेष उपग्रह को लॉन्च करने की कीमत… तकनीकी अनुकूलता और वाणिज्यिक सौदे… मैं कहूंगा कि स्पेसएक्स के फॉल्कन 9 रॉकेट पर इतने भारी उपग्रह को लॉन्च करना हमारे लिए अच्छा सौदा था.” इसरो ने 4,700 किलोग्राम भार उठाने वाले जीसैट-एन2 का निर्माण किया है और इसका मिशन लाइफ 14 साल का है. यह पूरी तरह से कमर्शियल लॉन्च है.