
हर साल 14 सितंबर को भारत में हिंदी दिवस(Hindi Diwas) के रूप में मनाया जाता है। यह हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार करने के लिए एक अहम दिन कह सकते है। हिंदी देश की सांस्कृतिक एकता को दर्शाती है। हिंदी दिवस हमें हिंदी की विरासत की याद दिलाता है। भारत में हिंदी साहित्य का भी बहुत बड़ा योगदान है। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक हिंदी साहित्य ने समाज को दिशा दी है। कबीर, तुलसीदास, प्रेमचंद, महादेवी वर्मा और अन्य लेखकों और कवियों ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है।
यह दिन हमें हमारी सांस्कृतिक धरोहर की याद दिलाता है और नई पीढ़ी को अपनी मातृभाषा के प्रति गर्व महसूस कराता है। इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिससे हिंदी का महत्व और भी बढ़ जाता है। आइए जानते हैं इसके इतिहास के बारे में।दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है। इसी दिन 1949 में संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में मान्यता दी थी। यह दिन भारत के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। यह हिंदी भाषा के महत्त्व को दर्शाता है। हिंदी दिवस न केवल हिंदी भाषा की प्रतिष्ठा का प्रतीक है, बल्कि यह देश की सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है।
1953 में, पहली बार 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया गया था। इसका उद्देश्य हिंदी भाषा के महत्व और प्रसार को बढ़ावा देना था। राजभाषा आयोग ने इस दिन को मनाने का विचार प्रस्तुत किया था। इसका उद्देश्य हिंदी को राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित करना था।14 सितंबर 1949 को भारतीय संविधान सभा ने हिंदी को देवनागरी लिपि में भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया।
















