
वणी (Vani ) : पिछले साल सरकार द्वारा दो हेक्टेयर तक कपास और सोयाबीन उत्पादकों को प्रति हेक्टेयर 5,000 रुपये अनुदान देने की मंजूरी दी गई थी, लेकिन अब तक किसान इस अनुदान का इंतजार कर रहे हैं। महीना बीतने के बावजूद, किसानों के खातों में एक भी रुपया जमा नहीं हुआ है, जिससे किसान असमंजस की स्थिति में हैं। इस संदर्भ में कृषि विभाग से अनुरोध किया गया है कि वे इस मुद्दे पर ध्यान दें और जल्द से जल्द अनुदान किसानों के खातों में जमा करने की दिशा में प्रयास करें।
कुछ दिनों पहले सरकार ने 10 सितंबर तक अनुदान की राशि बैंक खातों में जमा होने की घोषणा की थी, लेकिन 20 सितंबर बीत जाने के बाद भी यह राशि अभी तक खातों में नहीं आई है। इस संबंध में जनप्रतिनिधियों और कृषि विभाग के अधिकारियों से इस मुद्दे पर ध्यान देने की मांग की गई है।
सरकार ने घोषणा की थी कि सातबारा पर कपास और सोयाबीन की फसल पंजीकृत होने वाले किसानों को प्रति हेक्टेयर 5,000 रुपये अनुदान दिया जाएगा। इसके लिए सरकार ने 4,194 करोड़ रुपये मंजूर किए थे, जिसमें कपास उत्पादकों के लिए 1,584 करोड़ रुपये और सोयाबीन उत्पादकों के लिए 2,646 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए थे।
अनुदान वितरण के लिए पात्र किसानों से आधार कार्ड, सहमति पत्र और सह-खातेदारों से ‘ना-हरकत प्रमाणपत्र’ भी स्वीकार किए गए थे। पात्र किसानों ने सभी आवश्यक कागजात जमा कर दिए हैं, लेकिन अभी तक अनुदान मिलने की कोई स्पष्टता नहीं है, जिससे किसानों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। जब इस विषय में कृषि सहायकों से पूछताछ की जाती है, तो उन्हें भी कोई जानकारी नहीं होती है।
सरकार ने इस अनुदान के लिए 60% यानी 2,526 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है, लेकिन इसके बावजूद राज्य भर में किसानों की जानकारी पोर्टल पर अपलोड होने के बाद भी उन्हें इसका लाभ नहीं मिल पाया है। इस कारण सरकार की नीति को लेकर किसानों में गहरा असंतोष फैल रहा है।
















