
यवतमाल (Yavatmal) : महाराष्ट्र राज्य ग्रामीण जीवनोन्नति अभियान, ग्राम विकास विभाग के माध्यम से राज्यभर में चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के सर्वांगीण विकास के लिए सक्रिय रूप से काम हो रहा है। ‘लखपति दीदी योजना’ भी इसी अभियान के अंतर्गत चलाई जा रही है। लेकिन इस अभियान को संचालित करने वाले कर्मचारियों की समस्याओं को नजरअंदाज किया गया है, जिसके चलते ‘उमेद’ के कर्मचारियों ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
मांगें और आंदोलन
आंदोलनकारी कर्मचारियों की मुख्य मांगें हैं कि गरीबी उन्मूलन के लिए एक अलग विभाग बनाया जाए, पिछले दस वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों को राज्य के समकक्ष पद पर स्थायी किया जाए और इस अभियान को स्थायी रूप से चलाया जाए। ‘उमेद’ अभियान के तहत लगभग तीन हजार अधिकारी और कर्मचारी पिछले दस वर्षों से ठेका स्वरूप में काम कर रहे हैं। सरकार द्वारा उनकी मांगों पर ध्यान न दिए जाने के कारण वे आंदोलन करने पर मजबूर हुए हैं।
पहले भी हुआ था आंदोलन
10 से 12 जुलाई 2024 के बीच मुंबई के आज़ाद मैदान में मानसून सत्र के दौरान आंदोलन किया गया था। उस समय मुख्यमंत्री और ग्राम विकास मंत्री ने कर्मचारियों की मांगों को मानने का आश्वासन दिया था। लेकिन ढाई महीने बीत जाने के बावजूद मांगें पूरी नहीं हुईं, जिसके कारण ‘उमेद’ अभियान की महिलाएं, कैडर और ठेका अधिकारी-कर्मचारी एक बार फिर सड़कों पर उतर आए हैं।
आंदोलन की योजना
कर्मचारियों और महिलाओं ने घोषणा की है कि उनकी मांगें पूरी होने तक चरणबद्ध तरीके से गाँव से लेकर राज्य स्तर तक आंदोलन चलाया जाएगा। उनका कहना है कि उन्हें सिर्फ 1500 रुपये नहीं चाहिए, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए कम से कम एक लाख रुपये का पूंजी भत्ता दिया जाए। उमेद महाराष्ट्र राज्य महिला एवं कर्मचारी संघटना के तत्वावधान में यह आंदोलन आयोजित किया जा रहा है। आंदोलन की योजना के तहत गाँव स्तर से लेकर राज्य स्तर तक क्रियान्वयन किया जाएगा।
गुरुवार को जिला परिषद के उपाध्यक्ष बालासाहेब मांगुळकर ने इस आंदोलन का समर्थन किया और आंदोलन स्थल का दौरा किया। इस अवसर पर संघटन के जिला अध्यक्ष रोनाल फुलझेले, सारंग आगरकर, वैशाली लखपति, भागवत मोरे, विवेक कांबले, विजय उगडे सहित कई कार्यकर्ता और कर्मचारी आंदोलन में शामिल हुए।
















